Tuesday, December 15, 2009

लो क सं घ र्ष !: गंगा ही नहीं हमारा जीवन ही प्रदूषित कर दिया गया है

मानव सभ्यता नदियों के किनारे जन्मी है, पली है और बढ़ी है पानी के बगैर हम रह नहीं सकते हैंविश्व में बड़े-बड़े शहर और आबादी समुद्र के किनारे है या नदियों के किनारे पर स्तिथ है । कभी भी जल के श्रोत्रों को कोई गन्दा नहीं करता था लेकिन जब पूँजीवाद ने अपने विचारों के तहत मुनाफा को जीवन दर्शन बना दिया है, तब से हर चीज बिकाऊ हो गयी है जल श्रोत्रों को भी गन्दा करने का काम उद्योगपतियों, इजारेदार पूंजीपतियों ने मुनाफे में अत्यधिक वृद्धि के लिए गन्दा कर दिया हैहमारा जनपद बाराबंकी जमुरिया नदी के किनारे पर था और अब जमुरिया नाले के किनारे हैजनपद मुख्यालय के पास एक शुगर मिल स्थापित होती है जिसका सारा गन्दा पानी जमुरिया में गिरना शुरू होता है और फिर तीन और कारखाने लगते हैं जिनका सारा कूड़ा-कचरा जमुरिया में गिरकर नाले में तब्दील कर दिया हैनगर नियोजकों ने जो पूंजीवादी मानसिकता से ग्रसित हैंउन लोगो ने शहर के सम्पूर्ण गंदे पानी को जमुरिया नदी में डाल कर उसको मरणासन्न कर डाला हैनहरों, बड़ी सड़कों, रेलवे लाइनों ने जमुरिया नदी में आने वाले पानी को भी रोककर उसके प्रवाह को समाप्त कर दिया है
ब्रिटिश साम्राज्यवाद ने अँधाधुंध तरीके से जंगलो की कटाई कर जमुरिया नदी को उथली कर दिया थावन विभाग ने कागज पर इतने पेड़ लगा दिए हैं की जनपद में कोई भी जगह पेड़ लगने से अछूती नहीं रह गयी हैजमुरिया में मछली से लेकर विभिन्न जीव जंतुओं का विनाश भी मुनाफे के चक्कर में हुआ हैजहर डाल कर पानी को विषाक्त कर मछलियां मारी गयी जिससे पानी कि सफाई का कार्य भी स्वत: बंद हो गया
गंगा गौमुख से निकल कर बंगाल कि खाड़ी तक जाती है जिसमें हजारों नदियाँ , उपनदियाँ मिलती हैंजमुरिया नदी के साथ जो कार्य हुआ वही गंगा के साथ हुआ हैजमुरिया नदी भी से गंगा बनती हैजब हमारी मां या बाप या प्राणरक्षक गंगा हो या जमुरिया उसको पहले साम्राज्यवाद ने बर्बाद किया और अब हमारे उद्योगपति, पूंजीपति और नगर नियोजक हमारी नदियों को समाप्त करने पर तुले हैंयह लोग यह चाहते हैं की पानी के ऊपर उनका सम्पूर्ण अधिपत्य हो जाए और कम से कम 20 रुपये लीटर पानी हम बेचेंआज जरूरत इस बात की है कि इन पूंजीवादी, साम्राज्यवादी शक्तियों उनके द्वारा उत्पन्न नगर नियोजकों के खिलाफ जन आन्दोलन नहीं चलाया जाता है तो हमारी गंगा बचेगी हमारी जमुरिया

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

3 comments:

Sunita Sharma Khatri said...

आपने सही लिखा है पानी को कब्जाये जाने की नीति ने ही सर्वनाश किया है पाकिस्तान द्वारा भी कशमीर पर नियत रखने के पीछे उसकी दृष्टि झेलम व चिनाव नदियों पर डालने की ही है । जरूरत इस बात की हम अपनी प्राकृतिक सम्पदाओ के संरक्षण के प्रति कितने जागरूक है।

परमजीत सिहँ बाली said...

ज्यादा सरकार की और ऐसे उधोगपतियो की उदासीनता के कारण ही यह सब हो रहा है। पता नही कब सरकार चेतेगी।

Ram Bansal said...

इसमें दोष समाज और धर्म का भी है. नदियाँ स्नान के लिए नहीं होती उनका काम शुद्ध जल प्रदान करना तथा सीमित मल को सागर तक पहुँचाना है.

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