Ganga ke Kareeb
यह ब्लाग समर्पित है मां गंगा को , इस देवतुल्य नदी को, जो न सिर्फ मेरी मां है बल्कि एक आस्था है, एक जीवन है, नदियां जीवित है तो हमारी संस्कृति भी जीवित है.
Tuesday, February 2, 2021
Thursday, February 15, 2018
Saturday, July 15, 2017
Saturday, July 30, 2016
Monday, July 25, 2016
Ganga ke Kareeb: चरर्मोत्कर्ष पर है श्रावण मास की कावड यात्रा........
Ganga ke Kareeb: चरर्मोत्कर्ष पर है श्रावण मास की कावड यात्रा........: गंगा के करीब इन दिनों कावड यात्रा अपने चरर्मोत्कर्ष पर पहुच चुकी है । शिव की भक्ति की कामना में रचे बसे कावडियों को तो बस भोले बाबा को जल...
Friday, July 12, 2013
ओं गंगा क्यों बांधा मोहपाश में ..!
देख अपार विस्तार!
नहीं झपकी पलक..
बाल कौतुक, सरलता
नहीं झपकी पलक..
बाल कौतुक, सरलता
ओ गंगा ,क्यों बांधा मोहपाश में !
विस्मुर्त अतीत, और गोद,जल में करना आराम.
नहीं भूलते वो पल
निर्मल जल तो कभी धुंधला
कभी शांत तो कभी रौद्र तुम्हारा रूप.
नहीं भूलते वो पल
निर्मल जल तो कभी धुंधला
कभी शांत तो कभी रौद्र तुम्हारा रूप.
बना नितान्त प्रलयकारी
अधम और अज्ञानी
करते रहे नादानी
क्षमा इनके कर्म करो.
ओ गंगा क्यों बांधा मोहपाश में !
समझा नहीं जिन्होंने मोल तुम्हारा
उनका जीवन..क्या जीवन!
तुम्हारा वैभव और गौरव
पुरातन परम्परा व अधर्म
कुसंस्कार और अनैतिकता
सब के बीच रुदन तुम्हारा
सुन कर किया अनसुना
डर है चेतन, अवचेतन में
ओ गंगा, क्यों बांधा मोहपाश में !
अधम और अज्ञानी
करते रहे नादानी
क्षमा इनके कर्म करो.
ओ गंगा क्यों बांधा मोहपाश में !
समझा नहीं जिन्होंने मोल तुम्हारा
उनका जीवन..क्या जीवन!
तुम्हारा वैभव और गौरव
पुरातन परम्परा व अधर्म
कुसंस्कार और अनैतिकता
सब के बीच रुदन तुम्हारा
सुन कर किया अनसुना
डर है चेतन, अवचेतन में
ओ गंगा, क्यों बांधा मोहपाश में !
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