Monday, September 14, 2009

ऋषिकेश एक तपस्थली------अन्तिम भाग


.............ऋषिकेश से आगे मुनि की रेती आैर तपोवन के  उत्तर के पर्वत का नाम ऋषि पर्वत है इसके नीचे के भाग में अर्थात गंगातट पर एक गुफा में शेषजी स्वयं निवास करते है एेसा माना जाता है तपोवन क्षेत्र में अनेको गुफाएं थी जहां पुर्वकाल में ऋषि-मुनि तपस्या करते थे।शिवपुराण खण्ड 8 अध्याय 15 के अनुसार गंगा के पश्चिमी तट पर तपोवन है जहां शिवजी की कृपा से लक्ष्मणजी पवित्र हो गये थे। यहां  लक्ष्मणजी शेष रूप में आैर शिव लक्ष्मणेश्वर के नाम से विख्यात हुए ।
 भगवान राम,लक्ष्मण,भरत ,शत्रुघन ने भी यहां की यात्रा की। त्रिवेणी घाट स्थित रघुनाथ मंदिर भगवान राम की विश्राम स्थली रहा। उनकी उत्तराखण्ड की यात्रा के दौरान का । ऋषिकेश के ही निकट शत्रुघन ने ऋषि पर्वत पर तपस्या की । स्वामी विवेकानन्द जी ने एक वर्ष तक यहां तप किया था। आज भी मानसिक रूप से विक्षिप्त को मानसिक शान्ति एंव पुण्य का लाभ होता है। यह भी उल्लेख करना उचित होगा कि महापण्डित राहुल कई बार ऋषिकेश आये ।यहां के आ़श्रमों में योग व अध्यात्म की अतुलनीय धारा बहती है। देश से ही नही वरन् विदेशी भी काफी मात्रा में तप के लिए  यहां आते है ।
   मणिकुट पर्वत में महर्षि योगी द्वारा ध्यान पीठ की स्थापना की गई है जिसमें चौरासी सिद्वों की स्मृति में चौरासी गुफायें,योगसाधना के लिए सौ से अधिक गुफाएं भुमि के गर्भ में बनी है। ऋषिकेश के प्रमुख मंदिर इस प्रकार है--भरतमंदिर,भद्रकाली मंदिर ,  रघुनाथ मंदिर ,वराह मंदिर,पुष्कर मंदिर, गोपाल मंदिर,भैरव मंदिर , लक्ष्मण मंदिर ,आदि बदरी द्वारकाधीश मंदिर ,तथा त्रिमुखी नारायण मंदिर ,जो पौराणकि एंव प्राचीन है,  वीरभद्र मंदिर ,चन्द्रेशवर मंदिर। इसके अलावा कई आश्रम ट्रस्ट  ,धर्मशालाएं ,धर्माथ चिकित्सालय एंव यात्रियों की सुख सुविधा हेतु अनेक आधुनिक होटल है।
जहां एक अोर ऋषिकेश में आधुनिक पर्यटन की समस्त सुविधायें है वही दूसरी आेर त्रिवेणीघाट  एंव स्वर्गाश्रम का क्षेत्र एंव गंगा जी की परमार्थ की सांयकालीन आरती का दृश्य हो सबकुछ कितना आलौकिक लगता है  इसका वर्णन वही कर सकता है जिसने इसका दर्शन व अनुभव किया हो । इस तपस्थली की गाथा का वर्णन हम शब्दों में नही कर सकते ,इस स्थान के तप की महिमा अपरम्पार है।
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  (सभी चित्र ट्रिपअडवाइसर से साभार )
                                                  

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