Sunday, August 8, 2010

बढता ही जा रहा है आस्था का ज्वार........

मां गंगा के प्रति आस्था किस कदर है यह तब पता चलता है करोड़ों की संख्या में गंगा  से जुडे आयोजन हो चाहे विगत दिनो सपंन्न हुआ महाकुम्भ हो या अन्य स्नान पर्व लोगो का हजुम करोडों की संख्या पार कर जाता है । इसी तरह जब से सावन मास प्रारम्भ हुआ कांवड लेकर आने वालो की संख्या भी करोडो को पार कर गयी जब से उत्तरांचल  का गठन हुआ कांवडियों की सख्या पहली बार इतनी ज्यादा है की जितनी उम्मीद थी उससे कही अधिक संख्या में कांवडिये गंगा जल लेने गंगा के करीब आये है ।इस बार कांवडियों की सख्या खुद में एक रिकार्ड है जिससे प्रशासन के साथ साथ स्थानीय लोग भी अचभित है ।
  लगता है गंगा के प्रति जो चेतना आयी है यह भी उसका एक हिस्सा हो सबसे खास बात तो यह भी है कि कुछ कांवडियों ने तो गंगा व गंगा जल की सुरक्षा को लेकर चिन्ता भी जतायी है कि जब गंगा ही नही होगी तो गंगा जल कहां से मिलेगा इससे यह भी पता चलता है अन्य स्थानो पर भी हमारी सांस्कृतिक धरोहर मां गंगा के प्रति लोगो मे आस्था है जिस वह उनके जीवन का प्राणवान हिस्सा है उसकी दुर्दशा पर सभी का ध्यान गया गया है।



अहम बात यह भी है जिस तरह गंगा के इन तीर्थो में धार्मिक आयोजनो पर्वो स्नानों के के लिए जो जन सैलाब करोड़ों की संख्या में उमड पडता है जिसमें लोगो की  जाने भी चली जाती है दुर्घटनाये  भी होती है  उनके लिए यहां की सरकार कितनी चिन्तत है उनकी सुरक्षा उनकी तकलीफों के क्या कुछ इन्तजाम किये जाते है या सिर्फ उन्हे नियंत्रित करने में ही प्रशासन की उर्जा खर्च करता है ।
जिस तरह लोगो की भीड उमडती है फिर उसके बाद जो गंन्दगी व अव्यवस्था फैल जाती उससे स्थानीय जन में आक्रोश की स्थिति पैदा होती है यदि इसी तरह धार्मिक आस्था में बढोतरी होगी तो आने वाले समय के लिए उत्तराखण्ड सरकार क्या इनसे आसानी से निबट पायेगी ।गंगा के किनारें इन इन धार्मिक तीर्थ नगरियों में क्या पर्याप्त व्यवस्था होती है की वह इतने लोगो को असानी से जगह दे सके शायद नही तो अभी से सरकार को सचेत हो जाना चाहिए वह इस गंभीर मुद्दे पर अपनी कमर कस लेनी चाहिए तभी वह अपने प्रदेश को खुशहाली व विकास की ओर ले जा सकती है क्यो की शायद अब धार्मिक पर्यटन तथा आस्था की नयी शुरूवात हो चुकी है जिसमे आने वाले जन सैलाब में बढोतरी हो कर रहेगी...........

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