लेकिन यह भी विचारणीय है क्या हम यू ही मासूमो को मौत के करीब देखते रहेगे क्या हमें हर पल चौकन्ना रहने की आवश्यकता नही है जिस तरह आतंकी अपने कारनामों करते रहेगे हम विवश क्यों होते है? कमी कहां है ? हमारी सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी है विदेशियों की सुरक्षा का क्या जो हमारी धार्मिक गतिविधियों का हिस्सा बनते है फिर उनकी जान के लाले पड जाते है ? कब तक .......? बस कुछ समय के लिए चौकन्ने होते है फिर वही ढाक के तीन पात ।
यह आतकी भीड -भाड वाली जगहो को ही अपना निशाना बनाते है अब गंगा आरती की पावन जगह को अपना निशाना बनाया है ।इतिहास गवाह है हमारे धार्मिक स्थलो पर हमेशा से ही हमले होते रहे है फिर भी हम इनकी सुरक्षा के प्रति कितने सजग है ? प्रश्न बहुत है पर जवाब नदारद है । भले ही प्रधानमंत्री यह कहे कि "यह शैतानी आतकी ताकतों से लडने के हमारे प्रण को कमजोर करने का प्रयास है जिसमें आंतकी सफल नही होगे ।" किसी व्यक्ति की सुरक्षा भी अहम चाहे वह देशी हो या विदेशी ।अकारण ही वह मौत के मुंह में क्यों जाये ।
यह बहुत ही शर्मनाक है जो लोग अपनी श्रद्वा व विशवास अपना प्यार मां गंगा को देते है उसकी आरती उतारतें है उन्हे इस तरह की घटनाओ से रूबरू होना पडे। अब चुप रहने का समय नही ..........।