Saturday, February 20, 2010

कौन है यह..........नागा सन्यासी....?


कौन है यह..........?
 जो शरीर पर भस्म लगाये ,वस्त्र- हीन,अदृभुत रूप वाले, अवधुति........? जन साधारण के मन में नागा सन्यासियों को लेकर कौतुहल व जिज्ञासा का भाव आता है। 
भारत में नागा  अर्थात दिगम्बर सन्यासियो की  परम्परा प्राचीन काल से ही चली आ रही है  ।     नागाओ के सम्बन्ध में जार्ज गिर्यसन न लिखा है कि नागा शब्द एक धार्मिक समुदाय को सुचित करता है नागा शब्द संस्कृत के नग्नक का अपभ्रंश,हिन्दी का नंगा निर्वस्त्र है इसका अर्थ "वस्त्रहीन धार्मिक भिक्षु "है । भारत में पुरातन काल से ही अनेक धार्मिक सम्मेलन होते आ रहे है उस काल में कुंभ पर्व के सम्मेलनों में भारत से गणमान्य संन्सासीगण एंव सनातन धर्म के ज्ञाता विद्वान एकत्रित होते थे वे लोग विगत तीन वर्षो की धार्मिक गतिविधियों का लेख जोखा प्रस्तुत करते थे तत्पशचात  अगामी तीन वर्षा का कार्यक्रम तय होता था ।........... खिलजी तथा तुगलक वंशीय शासक गण एंव उनके अनुयायी अपने धर्म का प्रचार करने के लिए केवल शास्त्ररूपी राक्षसी भाषा ही जानते थे । उस समय शासको के सहयोग से सनातन धर्म को बलपूर्वक नष्ट करने के प्रयास किये जा रहे थे तब सनाधर्म की रक्षा के लिए एकमात्र उपाय शस्त्र धारण करना ही रह गया है ऎसा निशचित जान सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि अगामी कुंभ पर्व के सम्मेलन में सनातन धर्म के संरक्षक पुर्वाकिंत चारों आम्नायों ये संबधित दशोंवदों के संन्यासियों की मढियों के समस्त मठों के संचालको को विशेष रूप से आमंत्रित किया जाये ,इस निर्णय के अनुसार उससे अग्रिम कुंभपर्व के सम्मेलनो में भारत कं समस्त भागों में स्थित हजारों मठों के संचालक,विशिष्ट संन्यासी महात्मा सनातन धर्म के ज्ञाता विद्वान एकत्र हुए ................  अभी जारी है..... अगले भाग में .. कौन है यह नागा सन्यासी ? 

सुनीता शर्मा

Thursday, February 18, 2010

सौहार्द का प्रतीक बना कुम्भ नगर हरिद्वार।



Posted by Picasaसाधु संतों के साथ दलित मजदुरों ने किया गंगा स्नान,स्नान को जाते संतो संग दलित मजदूर
महाकुम्भ मेले के दौरान धर्म संस्कृति लोगो की आस्था के दर्शन तो होते ही है पर कुम्भ नगर, पहली बार आस्था के साथ समानता भाईचारे व सौहार्द का प्रतीक भी बन गया है। साधु-सन्तो ने दलित मजदुरों के साथ गंगा स्नान कर दिखा दिया कि उनके मन में समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए समान भावनायें है।



समान रूप से स्नान करते साधु -संत व दलित मजदूर
मां गंगा के लिए सब समान है उसकी गोद में सबकों सकून है........... हर-हर गंगे

Saturday, February 13, 2010

महाकुम्भ 2010 हरिद्वार-------पूरे वैभव के साथ सम्पन्न हुआ महाशिवरात्रि पर अखाडों का....... पहला शाही स्नान

शाही स्नान की तैयारियां,वार्तालाप








देवता की पालकी









स्नान को जाते सन्यासी,पूरे शानौ-शौकत से 





अवधुतों का वैभव 

नतमस्तक हो गयी कुम्भ नगरी हरिद्वार, इन अवधूतों को देख कर ।




















नागाओ के साथ- साथ साधु -सन्तों की विलक्षणता के हुए दर्शन



































हर-हर महादेव के जयकारो के साथ कुम्भ महापर्व का पहला शाही स्नान शुरू हुआ। जुना अखाडें के देवता की पालकी बहृमकुण्ड में प्रवेश करती है, भस्मीभूत कायावाले लम्बी जटाधारी नागासन्यासी कूद पडते मां गंगा में स्नान करने के लिए.............. अद्वभुत दृश्य............. खत्म होता है 12वर्षो के उपरान्त का इन्तजार 12फरवरी महाशिवरात्रि 2010 को जब  सुबह 10:40 के बाद  शुरू हुआ अखाडों स्नान शाम साढे छ बजे बाद ही खत्म हुआ ।जिन अखाडों ने स्नान किया जुना,आवहान व अगिन  अखाडा निरजनी एंव आनंद अखाडा ,महानिर्वाणी तथा अटल अखाडा।
(all pictures sources TVENW
news agency)

Thursday, February 11, 2010

MahaKumbh Haridwar 2010......संत संग सितारे....... महाकुम्भ की आस्था


Posted by Picasa











 हरिद्वार में हरिहर आश्रम में आयोजित महामंडलेशवर पटटाभिषेक समारोह में शामिल
हुई शवेता तिवारी।


Monday, February 8, 2010

Haridwar...Maha.Kumbh 2010........ पेशवाई निरंजनी अखाडा -----------



























MahaKumbh Haridwar 2010 Peshwai of Neranjani Akahara



Posted by Picasa
Naga Sadhus,with differant aspects

MahaKumbh Haridwar 2010 Peshwai of Neranjani Akahara
























पेशवाइयों में धर्म व संस्कुति के अलावा समाजिक चिंतन समाज के ज्वलंत मुददों पर भी संतों की चिन्ता साफ दिखी ,निरंजनी अखाडे की पेशवाई में इन समाजिक जागरूकता सम्बन्धित बातों पर इन जलूसों में झलक साफ तौर पर दिखायी दी।


Featured Post

यहां वीरभद्र प्रकट हुआ था ----- वीरभद्रेश्वर मंदिर (ऋषिकेश)

पिछली पोस्ट में मैने ऋषिकेश के वीरभ्रद्र क्षेत्र का इतिहास बताया था पर इस पोस्ट में यह बता दू कि क्यो इस क्षेत्र को वीरभद्र के नाम से जाना ...