Monday, June 10, 2013

कही दुःख में न बदल जाये गंगा का सानिध्य......

गर्मियों की छुट्टियों व भयानक गर्मी के कारण देश के दिल्ली] उत्तरप्रदेश] पंजाब हरियाणा ]चंडीगढ़ व राजस्थान सहित अन्य राज्यों से हजारो की संख्या में पर्यटक इस तीर्थ नगरी का रुख कर रहें है  शनिवार और रविवार को तो इनकी संख्या इतनी बढ़ जाती है की मुख्य मार्गो पर जाम की बुरी स्थिति हों जाती है ]
गंगा के तट यात्रियों से भर जाते है गंगा की लहरे तटो की सुन्दरताचारो और से हरे भरे पहाड़ यहाँ का मनोरम वातावरण आने वाले लोगो के चेहरे पर खुशिया ला देते है पर क्या उन सभी की खुशिया बरकरार रहती है- गंगा घाटी में एक के बाद एक हादसे हुए है उससे आने वाले यात्रियों के सुरक्षा खतरे में लगती है -
पर्यटकों के मन में सबसे अधिक उत्साह गंगा में राफ्टिंग करने के लिए रहता है लेकिन राफ्टिंग कंपनियों के गिरते स्तर के कारण अधिक मुनाफा कमाने के कारण इन पर्यटकों की जान पर बन आती है अनुभवी गाइड सुरक्षा मानको पर खरे न उतरने वाले उपकरणों के सहारे गंगा में रैपिड व  राफ्ट उतार दी जाती है जिसके  कारण गंगा के तेज लहरों में कब कौन सा हादसा हों जाये कोई नहीं जानता ] 
पिछले दो वर्षो  इन हादसों में बढोतरी हुई है 
गंगा के घाटों पर नहाना भी कई बार खतरनाक साबित होंता है यहाँ से अनजान यात्री डेंजर घाटों पर भी नहाते है और गंगा के वेग में बह जाते है रोके जाने पर भी पर्यटक नहीं मानते और चोरी छिपे एसे खतरनाक घाटो पर नहाने तो जाते है पर फिर जिन्दा वापस पर भी नहीं आते .
कुछ खतरनाक घाट बॉम्बे, ,गोवा बीच,लक्ष्मण घाट ,तपोवन घाट ,सच्चा घाट ,राधेश्याम घाट ,मस्तराम घाट ,दयानंद घाट ,पूर्णानंद घाट शत्रुघ्न घाट आदि है .

पर्यटन जो यहाँ की अर्थवयवस्था का आधार है यदि बाहर से आने वाले पर्यटक  रोमांचक खेलो को व रैपिड पर लहरों से चुनौतियो पर जाने का मन रखते हों तो उनकी सुरक्षा की भी राज्य सरकार  बनती है जिस तरह पर्यटन बढ़ा है उस  तरह पर्यटकों की सुरक्षा की पुख्ता इंतजाम भी किये जाने की और भी अधिक जरुरत है .ताकि जो भी यहाँ  आये सुखद यादे साथ लेकर जाये न की दुखद ,साथ ही पर्यटकों को भी चाहिए की सुरक्षा चेतावनियों को अनदेखा न करे जहा जाने की व स्नान पर पाबन्दी हों वहा इनकी अनदेखी न करे और खुश होकर यहाँ से वापस जाये . 


Sunday, June 2, 2013

सपने में कहा हनुमान ने प्रतिमा स्थापित करने को ----हनुमान मंदिर--- ऋषिकेश (अंतिम भाग)

ऋषिकेश के मायाकुंड के हनुमान मंदिर स्थापना के पीछे जो दिव्य घटना मिलती है  उसके अनुसार संत जीवन बिताने वाले उड़िया बाबा हमेशा के तरह प्रात: स्नान करने के पश्चात सूर्य को जल चढ़l रहे थे एस दोरान उनके हाथो  में हनुमान जी के छोटी से मूर्ति स्वममेव आ गयी l इस घटना से अचंभित उड़िया बाबा   अपने निवास स्थान पर वापस आ गए l पूरा दिन इस इस बारे में सोचते रहे रात को जब वह सो गए तो उन्हें सपना आया जिसमे राम भक्त हनुमान ने उनसे कहा कि उनकी इस  छोटी सी प्रतिमा को विशालकाय रूप में स्थापित किया जाये l उड़िया बाबा परेशान थे की उनके पास धन नहीं है l फिर वह इस मूर्ति को बड़ी मूर्ति के रूप में केसे स्थापित करे ?

अगले दिन चारधाम की यात्रा के लिए चित्रकूट से एक महात्मा परमहंस  लछमनदास यहाँ आये उन्होने अपने साथियों के साथ उड़िया बाबा के निवास पर पड़ाव डाला l उन्होंने कहा की चारधाम से पूर्व वह इस स्थान पर हनुमान जी की  विशाल मूर्ति  की  स्थापना  करवायगे l संतो ने अपने प्रयास से प्राकृतिक सामग्री पेड़ो से प्राप्त गोंद लाख एवं उड़द की दाळ आदि उपायों से हनुमान जी के प्रतिमा का निर्माण करवाया l जब हनुमान के यह मूर्ति पूरी बन गयी तो चित्रकूट से आये महात्मा वापस चले गये l शायद उन्हें उड़िया बबा की मदद के लिए भगवान ने ही भेजा था l 
१९६३ में उड़िया बाब ने शरीर त्याग दिया तत्पश्चात मंदिर का संचlलन भरतदास महाराज ने किया l मंदिर तथा आश्रम चार धाम के यात्रा हेतु आये साधु सन्याशी एवं महात्माओ का विश्राम स्थल शुरु से रहा है l यहाँ उनकी समानभाव से सेवा के जाती है l इस सम्बन्ध में प्रचलित है कि उड़िया बाबा गांजा व नशा आदि करने  के अनुमति प्रदान नहीं देते थे l 
मंदिर में प्रतिस्थित हनुमान की मूर्ति  लगभग नो फिट ऊँची है l इस प्रतिमा का निर्माण पाषाण से नहीं वरन मिट्टी आदि से हुआ है जिस पर सिंदूर पोत कर वर्तमान स्वरुप प्रदान किया है इस तरह के प्रतिमा अब नहीं बनायीं जाती यह संतो के पराक्रम का एक उदहारण है l 
हनुमान मंदिर में राम लक्षमन एवम जानकी का मंदिर भी इसे परिसर मे है l मंदिर मनोकामना सिद्ध  है इसी  विस्वास के कारण यहाँ बहुत दूर दूर से श्र धालू  आते है l  

Saturday, June 1, 2013

सपने में कहा प्रतिमा स्थापित करने को….हनुमान मंदिर….(.भाग एक ) ऋषिकेश.

गंगा के किनारे मायाकुंड में हनुमान का सिद्ध मंदिर स्थित है. ऋषिकेश के मंदिरो में यह उल्लेखनीय है कि पुराणिक महत्व की इस तीर्थ नगरी में कई मंदिर, प्राचीन ऐतिहासिक एवं पुरानो में वर्णित है l इनमे से कुछ मंदिर ऐसे है जिनका निर्माण मानवीय प्रेरणा से तो कुछ का चमत्कारों के फ़लस्वरूप हुआ. मनोकामना सिद्ध हनुमान मन्दिर लोगो की श्रधा व विश्वास का प्रतिफ़ल है तो दूसरी तरफ रामभक्ति का. हनुमान की विशाल प्रतिमा को  देखकर श्रधालुओ के मन में स्वंय भक्ति भाव उत्पन होता है . मंदिर की स्थापना में स्वामी रामदास उड़िया बाबा ने के थी उड़ीसा  से आये उड़िया बाबा एक सवतंत्रता सेनानी  थे. उनकी कर्मस्थली उड़ीसा  थी , जहा उन्होंनें भारत के स्वस्तंत्रता संग्राम में अपना योगदान दिया.  स्वामी रामदास का सम्बन्ध कांग्रेस दल से था.
कालांतर में स्वतंत्रता आन्दोलन में महत्वपूर्ण कार्यो को उन्होने किया. जिससे अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की भांति उन्हें ब्रिटिश सरकार के कोप क भाजन बनना पड़ा इसलिए वह कई बार जेल गये. अन्तत: जब अंग्रेज अधिकारियो का जुल्म बढने लगा तो वह जीवन रक्षा के लिए ऋषिकेश चले आये और यहाँ पर संतो का जीवन बिताने लगे. उनके राजनतिक जीवन का अंत यही पर नहीं हुआ वरन ऋषीकेश पुस्तिका में वर्णित है की 1921-30  में नमक सत्याग्रह में देहरादून के 400  व्यक्ति जेल गए थे उनमे  70-75  साधु सन्याशी थे. उन साधु संयाशियो में एक नाम उड़िसा  के उड़िया बाबा  रामदास का  भी शामिल था l उड़िया बाबा का जवाहरलाल लाल नेहरु से भी घनिष्ट सम्बन्ध था तथा उड़ीसा के मुख्यमंत्री हरीकृष्ण मेहताब उनके प्रमुख शिष्यो में से एक थे. 

मंदिर स्थापना …जारी है अगले भाग में….



                                                                                      

Monday, February 18, 2013

गंगा की निर्मलता व अविरलता के लिए कृतसंकल्प है उत्तराखण्ड सरकार

उत्तराखण्ड और उत्तराखण्ड की सरकार गंगा की निर्मलता व अविरलता के लिए कृतसंकल्प है।विगत दिवस  उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा इलाहाबाद पहुंचे , संगम में स्नान के बाद वहां चल रहे गंगा यमुना सम्मेलन में हिस्सा लिया सम्मेलन के दौरान इलाहाबाद के सांसद कुवंर  रेवती रवण सिंह के अलावा गंगा स्वच्छता अभियान से जुडे  कई आन्दोलनकारी मौजुद थे। सपा सांसद कुंवर रेवती रमण सिंह  ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया गंगा को लेकर संजीदा हो ,लखनउ के शाही ईमाम मोलाना सैयद शाह फजलूर्रहमान वाई जी ने कहा गंगा हमारी गंगा जमुनी तहजीब की धरोहर है उसे बचाकर रखा जाये ।मुख्यमंत्री  बहुगुणा ने कहा उत्तराखण्ड  को गंगा प्रदुषण के लिए दोषी  माना जाता है जबकि राज्य में चल रही या प्रस्तावित अधिकांश विघुत परियोजनाएं रन आफ द रीवर है यानि की बहते पानी की परियोजनाएं । इसमे पानी को बांध बना कर रोका नही जाता उन्होने कहा कि बावजूद इसके यदि उत्तराखण्ड प्रदुषण के लिए दोषी है तो सरकार इसके लिए जवाबदेही से पीछे नही हटेगी । गंगा की निर्मलता व अविरलता के लिए राज्य सरकार हरसंभव कोशिश करेगी ।  










Monday, January 14, 2013

एक संवाद मां गंगा के साथ.....

एक संवाद मां गंगा के साथ

मां आज तुम बहुत खुश हुई होगी 
तुम्हारे बेरहम बच्चों ने 
पुण्य कमाने के लिए
बस स्नान मकर सक्रांति
के नहान के नाम पर 
संगम में पुण्य के लिए
कुछ ने पाप धोने के लिए 
सैकडों हजारों की संख्या 
में डूबकी लगाई होगी
पर मै जो तुम्हारी 
बेटी कसम खाई है
जब तुम्हे तुम्हारा 
वही निर्मलता
शु़द्वता से दुबारा 
परिचित कराने में 
तुम्हारे खोये स्वरूप को 
लौटाने में मेरे बस में
जो होगा वह मै 
अपने अन्तिम क्षण 
तक करूगी तब तक
कितने ही नहान पर्व हो 
तुम्हारे जल में स्नान 
न करूगी..........! 

Sunday, January 6, 2013

इलाहाबाद (प्रयाग) महाकुम्भ.. ......2013

इलाहाबाद (प्रयाग) लगभग 65 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है तथा उत्तरप्रदेश राज्य में 25.3 उत्तरी अक्षांश व 8155 पुर्वी देशांश पर स्थित है । दिल्ली से इसकी दुरी 612 कि.मी. है और मुबई से 1502कि.मी. । यह भारत का प्राचीनतम शहर है बसा है गंगा ,यमुना और पौराणिक सरस्वती नदी के संगम पर । हिन्दुओ का अति पवित्र ऎतिहासिक नगर इलाहाबाद पहले प्रयाग के नाम से विख्यात था, स्कन्द पुराण के अनुसार सृष्टि की रचना के लिए ब्रह्रमा जी ने यज्ञ आयोजित करने के लिए गंगा ,यमुना और सरस्वती द्वारा घिरे हुए एक प्रमुख भू-खण्ड का चयन किया जो बाद में प्रयाग के नाम से जाना गया ।सागर मंथन के उपरान्त  देवताओ व असुरों के अमृत प्राप्ति के लिए हुए झगडे में अमृत कलश से  कुछ बूंदे यहां भी गिर गयी तभी से यह स्थान तीर्थराज  के नाम से भी जाना जाता है ।
इलाहाबाद प्रयाग का अपना एक स्वर्णिम इतिहास है अयोध्या से निष्कासन के बाद भगवान राम ने भी यहां कुछ समय व्यतीत किया ।  1584 में मुगल बादशाह अकबर ने त्रिवेणी संगम पर एक प्रतापी संग्रामिक किले का निर्माण किया इस स्थान का अल्लाहबास अथवा इलाहाबाद नाम पड गया । 

कुम्भ मेला एक नित्य नवीन उत्सव है कुम्भ मेला भारत के अन्य तीन स्थानों पर होता है हरि़द्वार में गंगा तट पर ,उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर तथा नासकि में गोदावरी के तट पर ग्रहों के प्रभाव से कुछ विशिष्ट समयों पर समुद्र मंथन द्वारा प्राप्त अमृत इन नदियों में पुन: प्रकट होता है और इन नदियों का जल आध्यात्मिक शक्ति से सम्पन्न हो जाता है । इस समय इन नदियों में स्नान करने से मुक्ति प्राप्त होती है ।
वर्ष 2001 में कुम्भ मेला यहां 44 दिनों के लिए था जबकि कुम्भ 2013......कुल  55 दिनों के लिए होगा । इस दौरान इलाहाबाद  प्रयाग सर्वाधिक आबादी वाला शहर बन जाता है ।   

कुम्भ 2013 के पमुख स्नान ।

मकर संक्राति ........14.1.2013.............शाही स्नान 

पौष पूर्णिमा...........  27.1.2013

मौनी अमावस्या.......10.2.2013.............शाही स्नान 

बसन्त पंचमी...........15.2.2013 .............शाही स्नान

माघी पूर्णिमा .......... 25.2.2013

महाशिवरात्रि........... 10.3.2013

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यहां वीरभद्र प्रकट हुआ था ----- वीरभद्रेश्वर मंदिर (ऋषिकेश)

पिछली पोस्ट में मैने ऋषिकेश के वीरभ्रद्र क्षेत्र का इतिहास बताया था पर इस पोस्ट में यह बता दू कि क्यो इस क्षेत्र को वीरभद्र के नाम से जाना ...