यह ब्लाग समर्पित है मां गंगा को , इस देवतुल्य नदी को, जो न सिर्फ मेरी मां है बल्कि एक आस्था है, एक जीवन है, नदियां जीवित है तो हमारी संस्कृति भी जीवित है.
Saturday, July 15, 2017
Saturday, July 30, 2016
Monday, July 25, 2016
Ganga ke Kareeb: चरर्मोत्कर्ष पर है श्रावण मास की कावड यात्रा........
Ganga ke Kareeb: चरर्मोत्कर्ष पर है श्रावण मास की कावड यात्रा........: गंगा के करीब इन दिनों कावड यात्रा अपने चरर्मोत्कर्ष पर पहुच चुकी है । शिव की भक्ति की कामना में रचे बसे कावडियों को तो बस भोले बाबा को जल...
Friday, July 12, 2013
ओं गंगा क्यों बांधा मोहपाश में ..!

नहीं झपकी पलक..
बाल कौतुक, सरलता
ओ गंगा ,क्यों बांधा मोहपाश में !
विस्मुर्त अतीत, और गोद,जल में करना आराम.
नहीं भूलते वो पल
निर्मल जल तो कभी धुंधला
कभी शांत तो कभी रौद्र तुम्हारा रूप.
नहीं भूलते वो पल
निर्मल जल तो कभी धुंधला
कभी शांत तो कभी रौद्र तुम्हारा रूप.
बना नितान्त प्रलयकारी
अधम और अज्ञानी
करते रहे नादानी
क्षमा इनके कर्म करो.
ओ गंगा क्यों बांधा मोहपाश में !
समझा नहीं जिन्होंने मोल तुम्हारा
उनका जीवन..क्या जीवन!
तुम्हारा वैभव और गौरव
पुरातन परम्परा व अधर्म
कुसंस्कार और अनैतिकता
सब के बीच रुदन तुम्हारा
सुन कर किया अनसुना
डर है चेतन, अवचेतन में
ओ गंगा, क्यों बांधा मोहपाश में !
अधम और अज्ञानी
करते रहे नादानी
क्षमा इनके कर्म करो.
ओ गंगा क्यों बांधा मोहपाश में !
समझा नहीं जिन्होंने मोल तुम्हारा
उनका जीवन..क्या जीवन!
तुम्हारा वैभव और गौरव
पुरातन परम्परा व अधर्म
कुसंस्कार और अनैतिकता
सब के बीच रुदन तुम्हारा
सुन कर किया अनसुना
डर है चेतन, अवचेतन में
ओ गंगा, क्यों बांधा मोहपाश में !
Sunday, June 30, 2013
छलक पड़े तो ..प्रलय बन गये...!!!!
क्यों हो गयी शिव तुम्हारी जटाए
कमजोर नहीं संभल पाई ........!!!
वेग और प्रचण्डना को
मेरी असहनीय क्रोध के आवेग को
पुरे गर्जना से बह गया क्रोध मेरा
बनकर मासूमो पर भी जलप्रलय
मै............
सहती रही .निसब्द देखती रही
रोकते रहे मेरी राहे अपनी ...
पूरी अडचनों से नहीं ,बस और नहीं
टूट पड़ा मेरे सब्र का बांध और तोड़
दिए वह सारे बंधन जो अब तक
रुके रहे आंसू के भर कर सरोवर
छलक पड़े तो प्रलय बन गए ....
कब तक मै रुकी रहती.. सहती रहती
जो थी दो धाराये वह तीन हो चली है
एक मेरे सब्र की, असीम वेदना की...
उस अटूट विश्वास की जो तुम पर था
खंड खंड है सपने, घरोंदे ,खेत, खलियान
तुम्हारा वो हर निर्माण जो तुमने ,
जो तुम्हारा नाम ले बनाये थे लोगो ने
गूंज रहा है मेरा नाम ......
कभी डर से तो कभी फ़रियाद से
काश तुमने मेरा रास्ता न रोका होता
काश तुम सुन पाते मरघट सी आवाज
मेरी बीमार कर्राहे..........!!!!
नहीं तुम्हे मेरी फ़िक्र कहा
तुम डूबे रहे सोमरस के स्वादन में
मद में प्रलोभन में ,अहंकार में
नहीं सुनी मेरी सिसकिया
रोती रही बेटिया..माँ लेकर तुम्हारा नाम
...देखो प्रभु तुम्हारी दुनिया में
क्या न हो रहा.. तुम मौन साधना में विलीन रहे
कैसे न टूटता फिर मेरा वेग, कैसे रुकता मेरा प्रवाह
रुदन से मेरे आंसू ...को नेत्र न संभाल पाए
खुल गयी तुम्हारी जटाए भी .......
प्रलय को कौन रोक पता ..इसे तो आना ही था !!!
कमजोर नहीं संभल पाई ........!!!
वेग और प्रचण्डना को
मेरी असहनीय क्रोध के आवेग को
पुरे गर्जना से बह गया क्रोध मेरा
बनकर मासूमो पर भी जलप्रलय

सहती रही .निसब्द देखती रही
रोकते रहे मेरी राहे अपनी ...
पूरी अडचनों से नहीं ,बस और नहीं
टूट पड़ा मेरे सब्र का बांध और तोड़
दिए वह सारे बंधन जो अब तक
रुके रहे आंसू के भर कर सरोवर
छलक पड़े तो प्रलय बन गए ....
कब तक मै रुकी रहती.. सहती रहती
जो थी दो धाराये वह तीन हो चली है
एक मेरे सब्र की, असीम वेदना की...
उस अटूट विश्वास की जो तुम पर था
खंड खंड है सपने, घरोंदे ,खेत, खलियान
तुम्हारा वो हर निर्माण जो तुमने ,
जो तुम्हारा नाम ले बनाये थे लोगो ने
गूंज रहा है मेरा नाम ......
कभी डर से तो कभी फ़रियाद से
काश तुमने मेरा रास्ता न रोका होता
काश तुम सुन पाते मरघट सी आवाज
मेरी बीमार कर्राहे..........!!!!
नहीं तुम्हे मेरी फ़िक्र कहा
तुम डूबे रहे सोमरस के स्वादन में
मद में प्रलोभन में ,अहंकार में
नहीं सुनी मेरी सिसकिया
रोती रही बेटिया..माँ लेकर तुम्हारा नाम
...देखो प्रभु तुम्हारी दुनिया में
क्या न हो रहा.. तुम मौन साधना में विलीन रहे
कैसे न टूटता फिर मेरा वेग, कैसे रुकता मेरा प्रवाह
रुदन से मेरे आंसू ...को नेत्र न संभाल पाए
खुल गयी तुम्हारी जटाए भी .......
प्रलय को कौन रोक पता ..इसे तो आना ही था !!!
Wednesday, June 19, 2013
गंगा के करीब ....गंगा की उग्रता.....
शांत नहीं है अभी लहरें |
परमार्थ .....एक बार फिर बिना शिव मूर्ति के |
गंगा माँ से शांत होने की प्रार्थना करते परमार्थ आश्रम के वासी |
तबाही के निशान (ऋषिकेश में ७३ इमारते ढह गयी ) |
मुनि रेती ...आवेग के आगे बस नहीं |
त्रिवेणी घाट क्या से क्या हों गया |
जलमगन होने के बाद इस कार का हाल |
त्रिवेणी घाट |
गंगा दशहरा का पूजन |
गंगा माँ की आरती all pictueres by Anoop Khatri |
Tuesday, June 18, 2013
क्यों रुष्ट है माँ गंगा .....?
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मुनि के रेती |
कल से हालत कुछ ठीक हुई है वर्ना कल जिस तरह से गंगा ने अपना रोद्र रूप दिखाया था उससे सभी गंगा के करीब रहने वाले सकते में थे ....
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क्रोधित रूप में माँ गंगा |
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परमार्थ में शाम को भजन व आरती पहले की तरह हों रही थी |
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चेंद्रेस्वर नगर यहाँ गंगा का पानी लोगो के घरो में घुस जाता है यह बाद के चित्र |
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मुनि की रेती में गंगा का रूप देखने आये लोग |
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आरती के दृश्य,त्रिवेणी घाट |
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गंगा की आरती .....आस्था कभी नहीं रूकती |
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पहाड़ो पर घने मेघ है पता नहीं अभी और कितना कहर बरपेगा .. |
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