कौन है यह नागा सन्यासी ? में अब तक आप यह जान चुके है किस तरह इन अवधुतियों का प्रादुभाव हुआ और जनसाधारण ने इन्हे नग्न अवस्था में देखकर परमहंस सन्यासी के स्थान पर नागा सन्यासी की संज्ञा दी। अभी तक जो साहित्य इस विषय पर उपलब्ध है उस पर अभी भी शोध बाकी है जो कुछ लिखा गया है उससे विद्वानजन व अन्य संत आदि पुरी तरह से सहमत नही है उनके अनुसार सही तथ्य अभी प्रकट नही है ............अब आगे---- इन दशनामियों के दो अंग होते है शस्त्रधारी व अस्त्रधारी,शस्त्रधारी शस्त्रों आदि का अध्यन करके अपना अध्यातिमिक विकास करते है व अस्त्रधारी अस्त्रादि में कुशलता प्राप्त करते है ।
इन नागा सन्यासियों का धार्मिक ही नही राजनैतिक महत्व भी है इनकी स्थापना जिन उद्देश्य को लेकर हई थी उनमें इन्होने अपने पराक्रम साहस का अभूतपूर्व परिचय दिया,उत्तर मुगलकालीन भारत में इन नागे सन्यासियों ने अपने सैनिक कार्य में ख्याति पाई ही साथ ही उन्होने उस समय के वाणिज्य व्यवसाय में भी अच्छा हाथ बंटाया व्यापारिक केन्द्रों में अपने मठ स्थापित किये, नागा संन्यासियों ने राजनैतिक एंव व्यवसायिक दोनो ही क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य किये ।
सनातन धर्म की रक्षा के लिए ही नागा सन्यासियों का जन्म हुआ यह सब आप भाग 1 व भाग 2 में पढ चुके है अत्याचारी व हिन्दु का दमन करने वाले मुस्लिम शासको के साथ इन्होने कठिन से कठिन लडाइयां लडी ...............
कुछ प्रमुख युद्व इस प्रकार है काशी के ज्ञानवापी का युद्व -
1664 ई0 में औरंगजेब ने काशी ज्ञानवापी एंव विश्वनाथ के मन्दिर पर आक्रमण करके अपने सेनापति मिर्जा अली तुंरग खां एंव अब्दुल अली को विशाल सेना के साथ काशी भेजा, इस आक्रमण के भय से काशी में सर्वत्र हाहाकार मच गया जो रक्षा कर सकते थे वह भी आक्रमण्कारियों के साथ मिल गये ऎसे में नागा सन्यासियों ने अपने शस्त्रों के भयानक प्रराहों से उनको पूर्णतया पराजित कर वहां से भगा दिया इस युद्व में नागा सन्यासियों ने विश्वनाथ की गद्दी की प्रतिष्ठा को सुरक्षित रख औरगजेब की सेना पर विजय प्राप्त की खुद को योद्वा प्रमाणित कर महान यश को प्राप्त किया ।अन्य युद्वों बारे में अगले भाग में ..........till then , keep visiting Ganga Ke Kareeb
sunita sharma
freelancer journalist
8 comments:
रोचक जानकारी..धन्यवाद.
रोचक जानकारी..
ACHHI JAANKARI
jaankati achi hai, lekh bhi acha hai
नागा सन्यासियों के बारे में इस प्रेरक और विस्तृत जानकारी के लिये हार्दिक धन्यवाद
बहुत बढिया कार्य कर रहें हैं आप
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आप सभी के कमेंट के लिए धन्यवाद आपकों यह आलेख सीरीज अच्छी लगी इसके लिए मै आपकी आभारी हूं पवन जी पहली बार इस ब्लाग पर आये उन्हे लेख अच्छा लगा उम्मीद करती हूं ब्लाग के अन्य लेख भी उन्हे पसन्द आयेगे। सोहिल जी इस विषय पर अभी बहुत शोध बाकी है मै तो भारतीय संस्कृति के महासागर में मोती तलाशना चाहती हूं ताकि अपनी संस्कृति को हम विस्मृत न करे..........
बहुत बढिया कार्य कर रहें हैं आप
Very interesting and nice information. Thanks.
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