आजकल यह चर्चा जोरो पर है कि हेमा मालिनी को स्पर्श गंगा का ब्रांड एंबेसडर बनाने पर उत्तराखण्ड सरकार अपना राजनैतकि उद्देशय सिद्व करना चाहती है व जनमानस सुप्रसि़द्व अभेनेत्री और नृत्यांगना के मां गंगा के ब्रांड एंबेसडर बनाये जाने से आहत है जबकि गंगा तो खुद संस्कृति की वाहक है उसे इस तरह के ब्रांड एंम्बेसडर की आवश्यकता है ही नही ,यह भी विरोधाभास है कि इसके लिए उत्तराखण्ड के ही किसी अन्य व्यक्ति को चुनना चाहिए था ।
क्या सचमुच उत्तराखण्ड सरकार ने हेमा जी को गंगा नदी से जुडे स्पर्श गंगा अभियान के लिए हेमा जी को ब्रांड एंम्बेसडर बना कर कोई गलती की है ? जबकि सत्यता तो यह भी है हेमा जी जैसी अभिनेत्री व नृत्यागना को गंगा के लिए ब्रांड एंम्बेसडर बनाये जाने पर गलत क्या है वह उन्होने अपने अभिनय व नृत्य कला से अपनी प्रतिभा का लोहा देश विदेश में मनाया है वह अन्तराष्ट्रीय स्तर की कलाकार है यदि मां गंगा के उद्वार में वह अपना योगदान कर सकती है तो इसमे कुछ बुरा नही है । वह इस अभियान से जुडना अपना सौभाग्य मानती है गंगा नदी देश के ही नही वरन् विदेशियों के हृदय की भी धारा है उनके मन में भी गंगा के प्रति आपार स्नेह व आस्था है जिस जनमानस की भावनाओं के आहत होने बात जो लोग कर रहे है तो गंगा नदी को प्रदुषित करने में चाहे आम जन हो या सन्त भी उसके प्रदुषण व उसकी मार्मिक हालत जिम्मेदार सभी है। जो लोग आज गंगा नदी की साफ -सफाई के प्रति जागरूक हो चुके है उनके मन में हेमा जी प्रति भी उतना ही विश्वास है कि वह अपने जिम्मेदारी जो उन्होने ली है उसमे सफल हो सकेगी यदि प्रदेश के मुख्यमंत्री जब गंगा नदी के प्रति इतनी संवेदनशीलता रखते हो तो आज मां गंगा के उद्वार के नाम पर सभी को ईमानदार होना ही पडेगा ताकि हम अपनी जीवनदायिनी को उसके स्थिति से उबारने में कुछ तो कामयाब हो सके मां गंगा की दुर्दशा के जिम्मेदार हम सभी है बाहरी ताकत ने तो उसे मरणासन्न नही किया ।
जब यहां के लोग गंगा को अपनी मां मानते है तो वह यह क्यों नही समझते जब मां की हालत सही होगी तो तब ही तो वह अपने बच्चों के लिए सही रह पायेगी लेकिन यह भी एक विडम्बना ही है संतान अपनी मां की परवाह बहुत कम करती है भले मां अपनी जान तक अपनी संतान के लिए न्यौछावर कर दे ।जो लोग यह सोचते है कि हेमा जी को मां गंगा का ब्रांड एंम्बेसडर बना दिये जाने पर सरकार ने गंगा को भी प्रोडक्ट बना दिया है वह कितना सही यह तो वही जाने लेकिन आज जो गंगा कि दशा है उससे बचाने के लिए हमे इस जीवनदायिनी के लिए कुछ भी करना पडे वह भी कम होगा ।जब स्नानपर्वो पर जन सैलाब उमडता है तथा उसके बाद इस नदी का जो हाल यह जनमानस करता है तब उसकी आस्था कहां जाती है। वह इसके प्रति खुद से चिन्तत नही होगा तब तक कोई कुछ भी नही कर सकता जो समर्थ है उन्हे इस कार्य में आगे आना ही होगा मैने यह ब्लाग मां को समर्पित किया ताकि थोडी सी भी आवाज उन सभी तक पहुंच सके जो इस दिव्य नदी को आने वाली पीढी के लिए बचा सके । हमे इसके लिए अपने उन संस्कारों मे भी बदलाव लाना होगा जो इस नदी से जुडे है मां गंगा के हित के लिए अगर कुछ सके तभी यह जीवन सार्थक होगा व वह ऋण भी तभी उतरेगा जो एक मां का होता है जिसे हमे कभी नही चुका सकते ...........शायद
(हेमा मालिनी चित्र गुगल से साभार)
पढे गंगा नदी से सम्बन्धित अन्य पोस्ट ......(गंगा में प्रवाहित कर दो.....)
यह ब्लाग समर्पित है मां गंगा को , इस देवतुल्य नदी को, जो न सिर्फ मेरी मां है बल्कि एक आस्था है, एक जीवन है, नदियां जीवित है तो हमारी संस्कृति भी जीवित है.
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5 comments:
बहुत अच्छा, ह्रिदय को छू देने वाला लेख, एक-एक शब्द मां की याद दिलाती है।
सुनील पाण्डेय
बहुत अच्छा, ह्रिदय को छू देने वाला लेख, एक-एक शब्द मां की याद दिलाती है।
सुनील पाण्डेय
lekh sochne ko majboor karta hai.
bahut hi sunder chitran....
धन्यवाद अनुराग जी आप पहली बार इस ब्लॉग पर आये तथा अपना समय दिया उम्मीद है आगे भी आप गंगा के करीब पर अन्य लेखो व आलेखो पर अपने विचार रखेगे । मै सभी की आभारी हूं सुनील जी ,सुमन जी संध्या जी आपने अपनी टिप्पणियां की व मेरा उत्साह वर्धन किया कि मै कुछ लिख सकु इस ब्लाग के माध्यम से मां गंगा की सेवा कर सकुं मेरी लेखनी काश लोगो जागरूकता ला सके वह सचेत हो अपनी देवी के रूप मे पूजने वाली इन नदियों की रक्षा के प्रति संवेदनशील हो व निज की जिम्मेदारी मान अपने कर्म करते रहे।
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