यह ब्लाग समर्पित है मां गंगा को , इस देवतुल्य नदी को, जो न सिर्फ मेरी मां है बल्कि एक आस्था है, एक जीवन है, नदियां जीवित है तो हमारी संस्कृति भी जीवित है.
Sunday, November 21, 2010
आइये करे गंगा स्नान........
कल यानि 21नवम्बर 2010 को गंगा स्नान का पर्व बडे ही धुमधाम से मनाया गया कितने ही लोगो ने दूर-दूर से आकर गंगा में डूबकी लगायी ।सिख धर्म के लोग इसे गुरू पर्व के रूप में मनाते है इसी दिन गुरू नानक देव का जन्म हुआ था । हिन्दु धर्म में पूर्णिमा व्रत का महत्वपूर्ण स्थान है कार्तिक की इस पूर्णिमा में गंगा स्नान का बहुत ही महत्व है । मार्गशीर्ष ,कार्तिक ,माघ, वैशाख आदि महीने गंगा स्नान के लिए उत्तम है पर कार्तिक स्नान का विशेष फल है कवि
भारतेन्दु ने इसकी महत्ता कुछ इस तरह बतायी है- माधव कार्तिक माघ की पूनो परम सुनीत ।
ता दिन गंगा न्हाइये करि केशव सौ प्रति।।
कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूणिमा के नाम से जानते है इस दिन भोलेनाथ ने त्रिपूरासुर नाम के महाभयानक असूर का अंत किया था तथा त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए यह भी मान्यता है कि इसी दिन कृतिका में शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्मों तक व्यक्ति ज्ञानी व धनवान होता है इस गंगा में स्नान का वर्ष के स्नान का फल मिलता है। कृतिका नक्षत्र पर चन्द्रमा और विशाखा पर सूर्य हो तो "पद्म योग" बनता है जिसमें गंगा स्नान का फल पुष्कर से भी अधिक होता है ।
गंगा में स्नान का कार्तिक की पूर्णिमा के दिन कितना महत्व है यह तो बता ही दिया इस दान का भी बहुत महत्व होता है । आज गंगा स्नान के मायने क्या है कितने ही लोगो के लिए यह छुटटी का दिन पिकनिक के तौर पर मना लेने जैसा ही होता है हल्की ठंड में गंगा नहाने के बाद खिचडी गर्मागर्म खिचडी खाने का आनंद ही कुछ अलग है।
गंगा की पवित्रता को ध्यान में रखते हुए स्कंद पुराण में वर्णित है की इसमें तेरह तरह के कर्म नही करने चाहिए शौच , कुल्ला ,जुठा फेकना ,मलमूत्र त्याग करना ,तेल लगाना,निन्दा करना ,प्रतिग्रह,रति,दूसरे तीर्थ की इच्छा तथा दूसरे तीर्थ की प्रशंसा,वस्त्र धोना ,उपद्रव आदि कर्म नही करनें चाहिए। क्या यह सब कर पाते है वह लोग जो गंगा स्नान को आते है कि उन्हे गंगा हमारे धर्म में वर्णित समस्त पुण्य मिलेगा। नजर तो कुछ ओर ही आता है कोई गंगा के जल में बैठ की धुम्रपान करता है, नहाने के बाद तेल लगाते। बैठ कर निन्दा करते है। उपद्रव करते है कुछ लोग इस ताक में रहते है कि जैसे ही कोई गंगा में नहाये उसका समान ले उडे अपने समान की प्रति सचेत रहे ।
उन्हे यह नही पता कि कि यह कोई समुद्र का किनारा नही बल्कि गंगा नदी का तट जो एक देवनदी है यहां इस तरह के कार्य उन्हे पुण्य नही पाप की तरफ ले जाते है ।
गंगा के करीब कुछ बैठे थे अपने रोजगार के लिए वैसे
यह हमेशा ही रहते है पर स्नान पर्वो पर
इनकी संख्या कुछ बढ जाती है।
दान का जो महत्व है इसी लिए दान पाने के इच्छुक भी आते है।
बैठे है, कतार लगाये वैसे भले ही कई कुछ न दे पर आज के दिन तो काफी कुछ मिल ही जाता है गंगा किस तरह सबका पालन पोषण करती है लेकिन हम क्या करते है क्या इसकी पवित्रता का पूरा ध्यान रखते है।
यह सभी दृश्य है त्रिवेणी घाट ऋषिकेश के, यही पर गंगा के किनारे बना है आस्था पथ जो शिमला के माल रोड की नजारा दिखाता है। गंगा के किनारे का हाल जानने के लिए इन्तजार किजिए अगली पोस्ट का। फिलहाल के लिए बस इतना ही कि मौजुदा समय में बदल चुका है गंगा स्नान का नजरिया।
---------------------
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Featured Post
यहां वीरभद्र प्रकट हुआ था ----- वीरभद्रेश्वर मंदिर (ऋषिकेश)
पिछली पोस्ट में मैने ऋषिकेश के वीरभ्रद्र क्षेत्र का इतिहास बताया था पर इस पोस्ट में यह बता दू कि क्यो इस क्षेत्र को वीरभद्र के नाम से जाना ...
-
भगीरथ घर छोड़कर हिमालय के क्षेत्र में आए। इन्द्र की स्तुति की। इन्द्र को अपना उद्देश्य बताया। इन्द्र ने गंगा के अवतरण में अपनी असमर्थता...
-
आदिकाल से बहती आ रही हमारी पाप विमोचिनी गंगा अपने उद्गम गंगोत्री से भागीरथी रूप में आरंभ होती है। यह महाशक्तिशाली नदी देवप्रयाग में अलकनंदा ...
-
बड़ सुख सार पाओल तुअ तीरे ! हम भी कुंभ नहा आए ! हरिद्वार के हर की पौड़ी में डुबकी लगाना जीवन का सबसे अहम अनुभव था। आप इसे...
1 comment:
phentermine no rx buy phentermine 30 mg - buy phentermine online in australia
Post a Comment