गत दिवस सूफी गायक कैलाश खेर की मां की अस्थियां ऋषिकेश में चिदानंद मुनि द्वारा गंगा में विसर्जित कराये जाने के कारण हरिद्वार के तीर्थ पूरोहितों, पंडो व संतों में गहन रोष स्थित पैदा हो गयी है। उनका यह मानना है कि पद्म पुराण में हरिद्वार में धार्मिक कर्मकाण्ड सम्पन्न कराये जाने का उल्लेख मिलता है। हर की पैडी ,ब्रहमकुण्ड को कलयुग का प्रधान तीर्थ मानने के कारण हरिद्वार में अस्थियां विसर्जन की कराया जाना शास्त्रोचित्त है। ऋषिकेश में अस्थियां विसर्जन कराने की नयी परम्परा को लागु कर हरिद्वार का महत्व कम किया जा रहा है। अस्थियां विजर्सन हरिद्वार में ही जाने को शारूत्रोचित्त ठहराये जाने व गोमुख से गंगा सागर तक कही भी अस्थि विसर्जन किये जाने के तर्क वितर्क को लेकर ऋषिकेश तथा हरिद्वार के तीर्थ पुरोहितों पंडो व संतो तक में टकराव व बहस की स्थित आ चुकी है । सभी के अपने अपने तर्क है -हरिद्वार के तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि आदि अनादि काल से पुरखों के उद्वार का कार्य तीर्थ पुरोहितों के पास रहा है संत अस्थि प्रवाह नही करा सकते इसका कडा विरोध होगा जबकि ऋषि केश के तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि ऋषि केश में पौराणिक काल से कर्मकाण्ड ,अस्थि विसर्जन के साथ अन्य धार्मिक गतिविधियां गंगा के तट पर की जाती रही है इसलिए यहां अस्थि विसर्जन का विरोध गलत है हरिद्वार में रूष्ट तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि चिदानंद मुनि द्वारा चलायी जा रही परपंरा को हरिद्वार का संत समाज व तीर्थ पुरोहित सफल नही होने देगे। ऋषिकेश में भी तीर्थ पुरोहित एकजुट होकर हरिद्वार के इन लोगो का विरोध कर रहे है उनका यह कहना है कि गोमुख से गंगा सागर तक कही भी अस्थि विसर्जन किया जा सकता है
यह लोग सिर्फ निजी स्वार्थ के कारण ऋषि केश में गंगा में अस्थि विसर्जन करने को लेकर विरोध कर रहे जो शास्त्रोचित्त नही है ।
बहराल अस्थि विसर्जन को लेकर चल रहे गंगा के करीब इस विवाद को रूकने में कोई सफलता नही मिली है यह पहले से ज्यादा गहराता जा रहा है ।हरि़द्वार में व्यापारी भी तीर्थ पुरोहितों ,पंडा एवं संतों के साथ प्रदर्शन कर रहे चिदानंद मुनि का पुतला फूंक रहे है इन लोगो का यह मानना है कि ऋषि केश में अस्थि विसर्जन करवाये जाने से हर की पैडी तथा ब्रहमकुण्ड के पौराणिक महत्व पर आंच आयेगी तथा यहां के व्यापार पर भी प्रभाव पडेगा। ऋषिकेश में वेद महाविघालय के छात्र भी हरिद्वार के पुरोहितों व पंडा समाज के खिलाफ सडकों पर उतर आये है । ज्यातिषाचार्यो का सम्बन्ध में कहना है कि गंगा में अस्थि विसर्जन का सम्बन्ध आत्मा की शान्ति से माना जाता है इसके लिए स्थान विशेष का कोई महत्व नही है । साथ ऋषि केश के पुरोहित यह भी मानते है कि हरिद्वार के पंडे परपंरागत चली आ रही अस्थियां विसर्जन के स्थान के फेरबदल के विरोध में है जबकि यह एक परिवर्तन चक्र है । यह अपनी- अपनी श्रद्वा का विषय है मां गंगा तो इस धरा पर आयी ही पुरखों के उद्वार के लिए व मानव जाति के कल्याण के लिए है स्थान विशेष पर ही अस्थियां विसर्जित की जायी यह शास्त्रोचित्त न होकर केवल निजी स्वार्थवश है।
यह लोग सिर्फ निजी स्वार्थ के कारण ऋषि केश में गंगा में अस्थि विसर्जन करने को लेकर विरोध कर रहे जो शास्त्रोचित्त नही है ।
बहराल अस्थि विसर्जन को लेकर चल रहे गंगा के करीब इस विवाद को रूकने में कोई सफलता नही मिली है यह पहले से ज्यादा गहराता जा रहा है ।हरि़द्वार में व्यापारी भी तीर्थ पुरोहितों ,पंडा एवं संतों के साथ प्रदर्शन कर रहे चिदानंद मुनि का पुतला फूंक रहे है इन लोगो का यह मानना है कि ऋषि केश में अस्थि विसर्जन करवाये जाने से हर की पैडी तथा ब्रहमकुण्ड के पौराणिक महत्व पर आंच आयेगी तथा यहां के व्यापार पर भी प्रभाव पडेगा। ऋषिकेश में वेद महाविघालय के छात्र भी हरिद्वार के पुरोहितों व पंडा समाज के खिलाफ सडकों पर उतर आये है । ज्यातिषाचार्यो का सम्बन्ध में कहना है कि गंगा में अस्थि विसर्जन का सम्बन्ध आत्मा की शान्ति से माना जाता है इसके लिए स्थान विशेष का कोई महत्व नही है । साथ ऋषि केश के पुरोहित यह भी मानते है कि हरिद्वार के पंडे परपंरागत चली आ रही अस्थियां विसर्जन के स्थान के फेरबदल के विरोध में है जबकि यह एक परिवर्तन चक्र है । यह अपनी- अपनी श्रद्वा का विषय है मां गंगा तो इस धरा पर आयी ही पुरखों के उद्वार के लिए व मानव जाति के कल्याण के लिए है स्थान विशेष पर ही अस्थियां विसर्जित की जायी यह शास्त्रोचित्त न होकर केवल निजी स्वार्थवश है।
3 comments:
Beautiful aalekh .madam. badhayi
सवाल अर्थ शाश्त्र से जुड़ा है .यह तर्क का नहीं वैयक्तिक आस्था का प्रश्न है .गोमुख से गंगा सागर तक गंगा एक ही है .
Really very nice ..... aap to genius ho
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