आखिर गंगा की सुध आ ही गयी...................
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री माननीय डा0 रमेश पोखरियाल ने गंगा सरंक्षण का संकल्प लिया है।17 दिसंबर को प्रत्येक वर्ष अब स्पर्श गंगा दिवस के रूप में मनाया जायेगा ।गंगा का प्रदुषण मुक्त किये जाने के सुध जो उत्तराखण्ड मे आयी है उसके तहत यहां के मुख्यमंत्री भी यह मानते है कि गंगा के संरक्षण की जिम्मेदार यहां के बच्चे -बच्चे पर होनी चाहिए । प्रदेश सरकार गंगा की स्वच्छता के लिए गंभीर है होना भी चाहिए।
इस प्रदेश के लोग गंगा को उत्तराखण्ड का मायका कहते है सो संरक्षण की जिम्मेदारी से वह कतई पीछे नही है।गंगा के विषय में जो भी अपमानजनक टिप्पणी करे उन्हे यह समझना चाहिए भले ही हम हिन्दुस्तानी भले दिल के है लेकिन जब बात हमारे विषय में कहे हमारी नदी को बीमारी कह दे तो हर हिन्दुस्तानी को समझ लेना चाहिए जिन लोगो की भाषा व संस्कृति को अपनाने में हम अपनी शान समझते है वह हमारे बारे क्या सोचते है।
गंगा नदी को यदि काई बीमारी तक कह दे तो यदि अब भी हम सचेत नही हुए तो कब होगें ,हमारे नदियों को पहाडों व अन्य प्राकृतिक सम्पदाओ की रक्षा हमें ही करनी है।
जिस तरह उत्तराखण्ड में इस नदी के विषय में सरकार व जनता जागरूक हो गयी यदि समस्त गंगा के प्रदेशों में व अन्य नदियों के संरक्षण व स्वच्छता की सुध पूरे भारतवर्ष में हो तो क्या मरणासन्न गंगा को बचाया नही जा सकता। सख्ती से गंगा में डाले जाने वाले नालों पर तत्काल रोक लगायी जानी चाहिए।यह अभियान समस्त देश में हो तो कितना अच्छा हो ।
मेरे आलेख नदी ही नही सस्कृति भी है गंगा पर लोगो द्वारा टिप्पणी भी की गयी कि गंगा की स्थिति के लिए अब क्या उपाय हो सबसे अहम बात जागरूकता व मन में विश्वास व दृढ सभी लोगों द्वारा किया गया दृढ संकल्प हो तभी काई भी अभियान व योजना सफल होती है ईमानदारी से किया काई भी प्रयास कभी विफल नही होता मुझे अपने पिता द्वारा सिखाई गयी इस बात पर पूर्ण विश्वास है कि भगवान भी उसी की मदद करता है जो अपनी मदद खुद करता है............................।
इन्ही प्रयासों की चन्द तस्वीरे जो विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित हई take a look.......
प्रस्तुतकर्ता-
सुनीता शर्मा
स्वतंत्र पत्रकार
ऋषिकेश , उत्तराखण्ड
यह ब्लाग समर्पित है मां गंगा को , इस देवतुल्य नदी को, जो न सिर्फ मेरी मां है बल्कि एक आस्था है, एक जीवन है, नदियां जीवित है तो हमारी संस्कृति भी जीवित है.
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3 comments:
सबसे अहम बात जागरूकता व मन में विश्वास व सभी लोगों द्वारा किया गया दृढ संकल्प हो तभी काई भी अभियान व योजना सफल होती है
बिल्कुल सहमत हूं आपसे। आपका आलेख बहुत सटीक है। आपके प्रयासों का जवाब नहीं। साधुवाद।
वैसे कदम तो अच्छा उठा है लेकिन आगे बढ़ेगा या नही ...अभी कुछ कहा नही जा सकता.....आप ने अच्छी पोस्ट लिखी।आभार।
गंगा नदी को यदि काई बीमारी तक कह दे तो यदि अब भी हम सचेत नही हुए तो कब होगें ,हमारे नदियों को पहाडों व अन्य प्राकृतिक सम्पदाओ की रक्षा हमें ही करनी है।
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पता नहीं, मैने तो यह लिखा था:
Who says Ganges has not been reduced to Disease.
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