यह ब्लाग समर्पित है मां गंगा को , इस देवतुल्य नदी को, जो न सिर्फ मेरी मां है बल्कि एक आस्था है, एक जीवन है, नदियां जीवित है तो हमारी संस्कृति भी जीवित है.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Featured Post
यहां वीरभद्र प्रकट हुआ था ----- वीरभद्रेश्वर मंदिर (ऋषिकेश)
पिछली पोस्ट में मैने ऋषिकेश के वीरभ्रद्र क्षेत्र का इतिहास बताया था पर इस पोस्ट में यह बता दू कि क्यो इस क्षेत्र को वीरभद्र के नाम से जाना ...
-
भगीरथ घर छोड़कर हिमालय के क्षेत्र में आए। इन्द्र की स्तुति की। इन्द्र को अपना उद्देश्य बताया। इन्द्र ने गंगा के अवतरण में अपनी असमर्थता...
-
आदिकाल से बहती आ रही हमारी पाप विमोचिनी गंगा अपने उद्गम गंगोत्री से भागीरथी रूप में आरंभ होती है। यह महाशक्तिशाली नदी देवप्रयाग में अलकनंदा ...
-
बड़ सुख सार पाओल तुअ तीरे ! हम भी कुंभ नहा आए ! हरिद्वार के हर की पौड़ी में डुबकी लगाना जीवन का सबसे अहम अनुभव था। आप इसे...
4 comments:
वह सुनीता जी, कुम्भ की भीड़ देखकर तो मज़ा आ गया।
कुम्भ के मेले में बाबाओं का आगमन भी एक अद्भुत द्रश्य प्रस्तुत करता है।
यह और शायद कहीं नहीं देखने को मिलेगा।
सुनीता जी ~ "लक्ष्मन झूला" का बहुत सुंदर चित्र! दिल खुश हो गया 'गंगा मैय्या' को देख! धन्यवाद्! अपना तो 'कुम्भ' हो गया!
क्षमा प्रार्थी हूँ यदि मेरी बात 'असामयिक' लगे:
जहां तक 'भारत' में - मानव संसार में - 'बुराइयों' की बात है तो यह कलियुग के कारण 'हमारा' खुद का 'दृष्टि दोष' है जिसे कोई बाहरी चश्मा नहीं बदल सकता...इसके लिए (लक्ष)मन की आँख आवश्यक है - यानि मन केवल 'तीसरी आँख वाले शिव' में लगाने का लक्ष्य...
क्यूंकि "सत्यम शिवम् सुंदरम" का अर्थ है कि केवल शिव ही सुंदर हैं और वो ही सत्य हैं!
धन्यवाद
डा0 दराल जी आपके कमेंट से मेरा उत्साह बढा कि मै कुम्भ की ज्यादा जानकारी आप सभी तक पहुचाउ सारे विश्व की नजर जब इस महाकुम्भ पर हो तब आप इससे वंचित कैसे हो सम्बन्धित वीडियों (कुम्भ नगरी हरिद्वार) शीर्षक , आप यूटयूब पर भी देख सकते है।
जेसी जी आपका धन्यवाद आप पहली बार मेरे ब्लाग पर आये है।आपने सत्य कहा सत्य ही शिव है व सत्यम शिवम सुंदरम।
सुनीता जी ~ मैं एक अवकाश प्राप्त 'सिविल इंजिनियर' हूँ जो अल्मोडा से मूल रूप से जुडा है... जैसे आप 'फ्री लांस' जर्नलिस्ट हैं, ऐसे ही मैं भी 'फ्री लांस' टिप्पणीकार हूँ...सन २००५ से. एक दक्षिण भारतीय, कविता कल्याण, के मंदिर आदि से सम्बंधित (अंग्रेजी) ब्लॉग से संयोगवश आरंभ कर, 'संन्यास आश्रम' में आने के कारण अपना निजी ब्लॉग नहीं बनाया. इस प्रकार स्वतंत्र होते हुए भी ब्लॉग संसार से जुडा हूँ और 'अपने' विचार, जो मैंने इधर उधर से गहराई में जा कर पाए यहाँ-वहाँ प्रस्तुत करता रहता हूँ..."बाज़ार से गुजरा हूँ ख़रीदार नहीं हूँ..." समान...
जे सी जोशी
Post a Comment