भारत की ग्रामीण जनता के जीवन में गंगा दशहरा जैसे पर्वो का बहुत ही महत्व है शहरों में भी इसका प्रभाव है पर उनकी भाग दौड भरी जिन्दगी यह पर्व अपनी पहचान खोते जा रहे है , निरन्तर श्रमलीन रहने वाली जनता के लिए गंगा दशहरा के मायने ही कुछ अलग है वह गंगादि नदियों के तट पर अपने प्रियजनो के साथ गंगा स्नान करते है अपने सुख-दुख बाटते है।
गंगाअवतरण की घटना अपने आप में आलौकिक तथा ऎतिहासकि है जिस पर इस ब्लाग में पहले भी प्रकाश डाला जा चुका है ।गंगा अवतरण ने भारत की दशा-दिशा ही बदल दी थी इसी की स्मृति में होने वाला गंगा दशहरा का पर्व युग-युग तक भगीरथ आदि महापुरूषों की याद दिलाता रहेगा जिनके नाम ही कठिन परिश्रम के प्रतीक बन गये।गंगा की महिमा का वर्णन वेदों से लेकर सम्पूर्ण अवान्तर साहित्य में भरा हुआ है
गंगा दशहरा ज्येष्ठ शुक्ला दशमी को सम्पुर्ण भारत में महान धार्मिक पर्व के रूप में मनाया जाता है गंगा के अर्विभाव की यह कथा वाल्मीकिरामायण तथा महाभारतदि ग्रन्थों में बडे विस्तार से दी गयी है --
दशमां शुक्लापक्षे तु ज्येष्ठे मासे बुधेहनि ।
अवतोरर्णा यत:स्वर्गद्वस्तर्क्षे च सरिद्वरा।।
हरते दश पापानि तस्मादृशहरा स्मृता ।
जिसका अर्थ है कि ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को बुधवार को हस्त नक्षत्र में गंगा स्वर्ग ये धरा पर अवतरित हुई थी । इस दिन स्नानादि शुभ कर्म करने से मनुष्यों के पापों का नाश होता है ।
भारत के लोग ही नही आज गंगा विदेशियों के लिए भी गंगा मां उनके मन भी आपार श्रद्वा व विश्वास गंगा के लिए जो जीवनदायिनी है ।भारत के पूर्व प्रधान मन्त्री जवाहर लाल नेहरू के मन में भी गंगा के प्रति अटूट स्नेह व विश्वास था । उन्होने गंगा के प्रति अपनी भाव भरी श्रद्वांजलि कुछ इस तरह दी थी जिसकी कुछ पक्तियां इस प्रकार है "गंगा भारत की खास नदी है,जनता को प्रिय है।
गंगा मेरे लिए निशानी है,भारत की प्राचीनता की ,यादगार की जो बहती आई है वर्तमान तक और बहती चली जा रही है भविष्य के महासागर की ओर ।"
(मेरे लिए सबसे अहम है बस मेरा यही चिन्तन जो भी लोगो के द्वारा इस नदी की पवित्रता को बचाने के लिए जो कुछ भी जागरूकता आयी क्या उससे सचमुच ही मां गंगा जिसके जल हमने प्रदुषित कर डाला क्या वह हमारे साथ इसी तरह साफ -सुथरे वेगमयी रूप में अपना भविष्य तय कर पायेगी?)
गंगाअवतरण की घटना अपने आप में आलौकिक तथा ऎतिहासकि है जिस पर इस ब्लाग में पहले भी प्रकाश डाला जा चुका है ।गंगा अवतरण ने भारत की दशा-दिशा ही बदल दी थी इसी की स्मृति में होने वाला गंगा दशहरा का पर्व युग-युग तक भगीरथ आदि महापुरूषों की याद दिलाता रहेगा जिनके नाम ही कठिन परिश्रम के प्रतीक बन गये।गंगा की महिमा का वर्णन वेदों से लेकर सम्पूर्ण अवान्तर साहित्य में भरा हुआ है
गंगा दशहरा ज्येष्ठ शुक्ला दशमी को सम्पुर्ण भारत में महान धार्मिक पर्व के रूप में मनाया जाता है गंगा के अर्विभाव की यह कथा वाल्मीकिरामायण तथा महाभारतदि ग्रन्थों में बडे विस्तार से दी गयी है --
दशमां शुक्लापक्षे तु ज्येष्ठे मासे बुधेहनि ।
अवतोरर्णा यत:स्वर्गद्वस्तर्क्षे च सरिद्वरा।।
हरते दश पापानि तस्मादृशहरा स्मृता ।
जिसका अर्थ है कि ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को बुधवार को हस्त नक्षत्र में गंगा स्वर्ग ये धरा पर अवतरित हुई थी । इस दिन स्नानादि शुभ कर्म करने से मनुष्यों के पापों का नाश होता है ।
भारत के लोग ही नही आज गंगा विदेशियों के लिए भी गंगा मां उनके मन भी आपार श्रद्वा व विश्वास गंगा के लिए जो जीवनदायिनी है ।भारत के पूर्व प्रधान मन्त्री जवाहर लाल नेहरू के मन में भी गंगा के प्रति अटूट स्नेह व विश्वास था । उन्होने गंगा के प्रति अपनी भाव भरी श्रद्वांजलि कुछ इस तरह दी थी जिसकी कुछ पक्तियां इस प्रकार है "गंगा भारत की खास नदी है,जनता को प्रिय है।
गंगा मेरे लिए निशानी है,भारत की प्राचीनता की ,यादगार की जो बहती आई है वर्तमान तक और बहती चली जा रही है भविष्य के महासागर की ओर ।"
(मेरे लिए सबसे अहम है बस मेरा यही चिन्तन जो भी लोगो के द्वारा इस नदी की पवित्रता को बचाने के लिए जो कुछ भी जागरूकता आयी क्या उससे सचमुच ही मां गंगा जिसके जल हमने प्रदुषित कर डाला क्या वह हमारे साथ इसी तरह साफ -सुथरे वेगमयी रूप में अपना भविष्य तय कर पायेगी?)
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