यह ब्लाग समर्पित है मां गंगा को , इस देवतुल्य नदी को, जो न सिर्फ मेरी मां है बल्कि एक आस्था है, एक जीवन है, नदियां जीवित है तो हमारी संस्कृति भी जीवित है.
Tuesday, March 16, 2010
गंगा में स्नान करना है.........
गंगा के प्रति भक्ति व स्नान का कितना महत्व है यह तब पता चलता है जब महाकुम्भ हो सोमवती अमावस्या हो तथा ऎसे ही कितने ही महत्वपूर्ण पर्व व त्यौहार सिर्फ समानता यह कि गंगा में डूबकी लगानी है यह गंगा के प्रति आस्था ही है ।कल सोमवती अमवस्या पर श्रद्वालु इतवार की रात से ही आने शुरू हो गये थे तमाम तकलीफों के बाद भी उनके मन में यह इच्छा बलवती थी बस गंगा में स्नान का लाभ उठाना है। हरिद्वार महाकुम्भ में जहां साधु-संतों समेत श्रद्वालुओ ने भी गंगा में स्नान किया अनुमान है कि लगभग 64 लाख लोगो ने गंगा डुबकी लगायी । कितनी शक्ति है इस दैवीय नदी में ।
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2 comments:
कंमेट के लिए शक्रिया संजय जी
सच तो यह हे कि गंगा नदी के प्रति लोगो की श्रद्वा व विश्वास सिर्फ देश में ही नही विदेशों में भी है यह सब जान कर भी हम इस नदी को मरणासन्न कैसे मान ले यदि कही यह स्थिति है तो वहां के लोगो को जागरूक हो इसके प्रति ईमानदार होना पडेगा सिर्फ स्नान करके पुण्य बटोरने का ही मकसद नही होना चाहिए।
लोगो को जागरूक हो इसके प्रति ईमानदार होना पडेगा सिर्फ स्नान करके पुण्य बटोरने का ही मकसद नही होना चाहिए।
आपसे सहमत हूं।
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
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