Saturday, June 1, 2013

सपने में कहा प्रतिमा स्थापित करने को….हनुमान मंदिर….(.भाग एक ) ऋषिकेश.

गंगा के किनारे मायाकुंड में हनुमान का सिद्ध मंदिर स्थित है. ऋषिकेश के मंदिरो में यह उल्लेखनीय है कि पुराणिक महत्व की इस तीर्थ नगरी में कई मंदिर, प्राचीन ऐतिहासिक एवं पुरानो में वर्णित है l इनमे से कुछ मंदिर ऐसे है जिनका निर्माण मानवीय प्रेरणा से तो कुछ का चमत्कारों के फ़लस्वरूप हुआ. मनोकामना सिद्ध हनुमान मन्दिर लोगो की श्रधा व विश्वास का प्रतिफ़ल है तो दूसरी तरफ रामभक्ति का. हनुमान की विशाल प्रतिमा को  देखकर श्रधालुओ के मन में स्वंय भक्ति भाव उत्पन होता है . मंदिर की स्थापना में स्वामी रामदास उड़िया बाबा ने के थी उड़ीसा  से आये उड़िया बाबा एक सवतंत्रता सेनानी  थे. उनकी कर्मस्थली उड़ीसा  थी , जहा उन्होंनें भारत के स्वस्तंत्रता संग्राम में अपना योगदान दिया.  स्वामी रामदास का सम्बन्ध कांग्रेस दल से था.
कालांतर में स्वतंत्रता आन्दोलन में महत्वपूर्ण कार्यो को उन्होने किया. जिससे अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की भांति उन्हें ब्रिटिश सरकार के कोप क भाजन बनना पड़ा इसलिए वह कई बार जेल गये. अन्तत: जब अंग्रेज अधिकारियो का जुल्म बढने लगा तो वह जीवन रक्षा के लिए ऋषिकेश चले आये और यहाँ पर संतो का जीवन बिताने लगे. उनके राजनतिक जीवन का अंत यही पर नहीं हुआ वरन ऋषीकेश पुस्तिका में वर्णित है की 1921-30  में नमक सत्याग्रह में देहरादून के 400  व्यक्ति जेल गए थे उनमे  70-75  साधु सन्याशी थे. उन साधु संयाशियो में एक नाम उड़िसा  के उड़िया बाबा  रामदास का  भी शामिल था l उड़िया बाबा का जवाहरलाल लाल नेहरु से भी घनिष्ट सम्बन्ध था तथा उड़ीसा के मुख्यमंत्री हरीकृष्ण मेहताब उनके प्रमुख शिष्यो में से एक थे. 

मंदिर स्थापना …जारी है अगले भाग में….



                                                                                      

2 comments:

रचना दीक्षित said...

सुंदर जानकारी.

Sunita Sharma Khatri said...

धन्यवाद, रचना जी ....

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